Pension New Rule – मध्य प्रदेश में लगभग ढाई दशक बाद पेंशन नियमों में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब सिर्फ विधवा पत्नियों को नहीं, पेंशनभोगी कर्मचारियों की अविवाहित बेटियों को भी परिवार पेंशन का लाभ मिलेगा। आइए इस नए मसौदे में क्या-क्या खास है और इसका असर किस तरह पड़ेगा, जानें इन कठिन कदमों के पीछे की पूरी कहानी।
परिवार पेंशन में कौन-कौन शामिल होगा?
पहले पेंशनभोगी अधिकारी या कर्मचारी के निधन के बाद परिवार पेंशन सिर्फ उनकी पत्नी को मिलती थी। अब प्रस्ताव है कि:
- 25 साल से ज्यादा आयु की अविवाहित बेटी: जो अपनी पढ़ाई या स्वरोजगार के चलते पिता पर निर्भर है, उसे विवाह होने तक पेंशन मिलेगी।
- विधवा बेटी: यदि बेटी शादी के बाद विधवा हो जाती है, तब भी उसे परिवार पेंशन मिलेगी।
- परित्यक्ता बेटी: जिसने तलाक लिया या कोई अन्य वजह से जीवनसाथी नहीं है, वह भी रजिस्ट्रेशन कराकर पेंशन का हकदार रहेगी।
इस तरह, दूर-दराज के गांवों में रहने वाली, पढ़ाई-लिखाई में जुटी या छोटे-मोटे काम से कमाना चाहने वाली बेटियों को थोड़ा सशक्त बनाने की कोशिश की जा रही है।
संघर्ष और इंतजार – 14 साल की पृष्ठभूमि
वोसी बात है कि केंद्र सरकार ने यह बदलाव 2011 में लागू कर दिया था, लेकिन राज्य स्तर पर इसे अपनाने में लंबा समय लग गया। करीब 14 साल के इंतजार के बाद कर्मचारियों और पेंशनभोगियों ने लगातार मांग उठाई। अंततः राज्य सरकार ने कर्मचारी आयोग के सामने मामला रखा, जो पूर्व आईएएस जीपी सिंघल की अध्यक्षता में बना था। इस आयोग ने साफ सिफारिश की कि बेटियों को भी शामिल किया जाए।
नियम बनने की प्रक्रिया
- कर्मचारी आयोग की सिफारिश
आयोग ने सुझाव दिया कि बेटियों के साथ-साथ विधवाओं और परित्यक्ताओं को भी पेंशन में शामिल किया जाए। - पेंशन संचालनालय का अनुमोदन
आयोग की रिपोर्ट पेंशन संचालनालय तक पहुंची, जिसे इस बदलाव का समर्थन था। - वित्त विभाग की प्री-अप्रूवल
वित्त ने बजट और खर्च के पहलुओं पर संतोष व्यक्त किया। कुछ सामान्य सवाल-जवाब के बाद इस प्रस्ताव को कैबिनेट में लाने की हरी झंडी मिली। - कैबिनेट की मंजूरी
अगले कैबिनेट सत्र में इसे पेश किया जाएगा। अनुमति मिलते ही नवीनतम नियम प्रभाव में आ जाएंगे और बेटियों के बैंक खाते में तुरंत पेंशन राशि ट्रांसफर होने लगेगी।
कितना बड़ा होगा फायदा?
- मध्य प्रदेश में करीब 4.5 लाख रिटायर्ड कर्मचारी पेंशन ले रहे हैं।
- इनमें औसतन हर परिवार में एक या दो आश्रित बेटियाँ होंगी, जिन्हें अब सीधे हर महीने पेंशन मिल सकेगी।
- पेंशनभोगी कर्मचारियों की DR बढ़ोतरी भी हाल ही में की गई है—महंगाई राहत 53 से बढ़ाकर 55 प्रतिशत कर दी गई, जो एक मई से लागू है।
इससे जुड़ी चुनौतियाँ
- वित्तीय भार: बेटियों की संख्या को देखते हुए राज्य को अतिरिक्त बजट का प्रबन्ध करना होगा।
- प्रमाणीकरण: यह सुनिश्चित करना आसान नहीं कि सभी बेटियाँ वाकई अविवाहित हैं या आर्थिक रूप से पिता पर आश्रित हैं। इसके लिए स्थानीय तहसीलों और विभागों को प्रमाण-पत्र सत्यापित करने होंगे।
- सूचना का प्रसार: दूरदराज के जिलों में रहने वाली बेटियों तक इस बदलाव की जानकारी पहुंचना जरूरी है, तभी वे आवेदन कर पाएँगी।
क्या आगे और भी बदलाव हो सकते हैं?
- कामकाजी बेटियाँ: अगर आगे यह नियम कामकाजी बेटियों पर भी लागू हो जाने, तो वे पूरी तरह आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो जाएँगी।
- नियम में विस्तार: संभव है कि कोई आयु सीमा तय की जाए या पेंशन राशि में वृद्धि हो, जैसे केंद्र में होती है।
- डिजिटलीकरण: पेंशन के आवेदन और वितरण को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सरल बनाकर पारदर्शिता बढ़ाई जाएगी।
मध्य प्रदेश में पेंशन नियमों में यह बदलाव न केवल बेटियों को आर्थिक सुरक्षा देगा, बल्कि पारिवारिक संरचना में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा। पिता के निधन के बाद जीवन के उन पड़ावों में जब बेटियाँ अकेले खड़ी होती हैं, यह पेंशन उन्हें आगे बढ़ने का विश्वास और आत्मसम्मान देगी।